Monica Gulati
Monday, October 12, 2009
ये हूँ मैं..
रोज़ फिरू मैं बंद सड़क पर,
फिर भी हूँ मैं खुली खुली.
चलते चलते कहीं भी जाती,
चाहे हो कोई गली- वली.
देख राह में वो रफ्तारें,
मैं ना पग से डिगी कभी.
जानू ना अपनी मंजिल मैं,
फिर भी हूँ कुछ सधी हुई.
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