Thursday, January 21, 2010

Arz kiya hai..

आप आये तो ये आलम कुछ बदला सा लगता है,
अब क्या कहें हम कुछ एक लफ़्ज़ों में,
के दिल ये हमारा थोडा पगला सा लगता है..

दिल की किताब कुछ खुली खुली सी है,
थोड़ी नासमझ और कुछ धुली सी है..
कुछ वक़्त से समा यूं हुआ है कि,
लफ़्ज़ों कि निकली एक झड़ी सी है..
दिल -ए- हाल अपना कब हो पाता बयान यूँ ही,
कुछ इस तरह आपकी नज़रें हमसे मिली सी हैं .

2 comments:

Unknown said...

beautiful!

Monica Gulati said...

Thanks so much Kanchan!! thanks for visiting the blog ! ;-)